Saturday 30 June 2012

क्या है ध्यान ?


 
 ध्यान !

आइये प्रेमपूर्वक सारे चिंताओं को भूला कर  ध्यान करें |  आज मैं सारे अन्य विषयों को छोड़ कर ध्यान की बात कर रहा हूँ | बाकी  सब विषय बेकार है क्योंकि वह किसी  अन्य से जुड़ा हुआ हैं ,और ध्यान है अपने आप  से जुडना | दूसरों के बारे में दिमाग खपा कर शांति नही मिलने वाली खुद के भीतर जा कर शांति मह्शूश होती है ,यह आप अपने अनुभव से जान सकते हैं

यह प्रयोग सारे धर्मो के अनुआयियों के लिए है संकोच न करें,इसे सभी कर सकते हैं क्योंकि असल में आदमी का कोई धर्म होता हीं नही कैसे ? मान लीजिए आप हिंदू के घर पैदा हुएं और लालन पालन किसी मुस्लिम के घर हुआ तब क्या होगा आपका धर्म ?असल में धर्म वही है जो खुद के भीतर ले जाये यह प्रक्रिया हमारे जीवन में बारम्बार होता है | अगर हम किसी मंदिर में जाते हैं और घंटियों की आवाज आपके कान में गूंजती है याद कीजिये उस क्षण को ! पांचो वक्त नमाज के वक्त मस्जिदों से गूंजती अल्लाह हो अकबर आपके कानो में जब पड़ती है तो कैसी अनुभूति होती है हमें तो बड़ा आनंद आता है | या फिर गिरिजाघरों में होती प्रार्थनाओं की आवाज अजीब सुकून देती है |या फिर गुरुवाणी के शबद अजीब शांति मह्शूश कराती है |अगर  आप ईमानदारी से इन क्रिया कलापों में भाग लेते होंगे तो उस क्षण आप खुद से या खुदा से जुड जाते हैं | किसी भी धर्म की प्रत्येक क्रिया जिसे आज आडम्बर भी कहते हैं बेकार नही है बड़े वैज्ञानिक ढंग से बनी हुई  प्रक्रियाएं  है जो उस धर्म के संस्थापकों (पैगम्बरों ) के अनुभव से आतीं  है और मकसद सिर्फ यही होता है की आप भी उस अनुभव से जुड जाये | आपके मन में किसी भी धर्म से सम्बंधित कोई भी आडम्बर के प्रति संदेह हो तो उसे कोमेंट के जरिये रखने की कोशिश करें | मै अपने अनुभव और ज्ञान के जरिए उनके   उतर देने की कोशिश करूँगा |

आइये प्रयोग करें | आँख बंद कर बैठ जाएँ  रीढ़ की हड्डी सीधी हो |ऐसे तो सोते वक्त भी कर सकते हैं लेकिन कोई तकलीफ न हो तो बैठ कर हीं करे  |सामने एक काला स्क्रीन (दृश्य पटल ) उभरेगा | थोड़ी देर उस अँधेरे को मह्शूश करें ईमानदारी से | सिर्फ और सिर्फ अँधेरे को मह्शूश करें | आपका मन गायब हो जायेगा मन तो अभी भी है वह अँधेरे को मह्शूश कर रहा है | लेकिन आपको सुकून मिलना शुरू हो जायेगा | गहरी साँस लीजिए और छोडिये आहिस्ता आहिस्ता कम से कम पांच बार सारे शरीर को ढीला छोड़ें शरीर में सनसनाहट मह्शूश करें|अब अपने मन को सांसो पर लगाये लगातार कम  से कम १० मिनट तक | सारा ध्यान सांसों पर हो | पुरे  मस्ती के साथ पुरे आनंद के साथ हौले हौले सांस ले | जब आनंद आने लगे तो समय बढ़ाते जाईये हाँ एक घंटा से ज्यादा न करें | उसके बाद का अनुभव ब्लॉग पर आ कर जरुर शेयर कीजियेगा |
आप कहेंगे एक और बाबा पैदा हो गया | बाबागिरी ना  बाबा ना कान पकड़ता हूँ |यह तो आपसे पुरे मानव जाती से प्रेम है इसलिए सत्य के सम्बन्ध में  अपने अनुभव बाँटना चाहता हूँ |

3 comments:

  1. Sir. I want to experience mediatation. Please help
    Regards

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  2. Sir. I want to experience mediatation. Please help
    Regards

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  3. Sir regular Meditation kar rha hu 1-2 month se but kuch khas experience nhi hua

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