Thursday 20 October 2016

रहस्यमयी हिमालय 11

वह व्यक्ति योगी बाबा अभेदानन्द की ओर उन्मुख हुआ | उसने बाबा से पूछा |
“ बाबा हम पूर्व जन्म से इस जन्म में आते कैसे है जबकि हमारा शरीर तो समाप्त हो चूका होता है |”
योगी बाबा ने प्रेम से समझाते हुए कहा “ हमारा स्थूल शरीर जो इस आँख से दिखाई देता है वह तो मर जाता है किन्तु हमारा  सूक्ष्म शरीर नहीं मरता और हमारा मन इसी सूक्ष्म शरीर के माध्यम से एक शरीर से दुसरे शरीर की यात्रा करता रहता है | मन हमारे संस्कारों का वाहक बनता है | आत्मा अमर है क्योंकि यह परमात्मा का हीं अंश है , इस आत्मा के उपर कई आवरण होते हैं | आत्मा के उपर दृश्य आवरण तो हमारा , रक्त मांस मज्जा , अस्थि  चमड़े से निर्मित शरीर है | आत्मा के और भी कई आवरण हैं जो अनुभव में आते हैं | हमारा मन भी आत्मा का आवरण हीं है | इस प्रकार बुद्धि , ज्ञान , आनन्द  अहंकार आदि आत्मा के उपर अदृश्य  आवरण  होते हैं | कई बार हम ये सोचते हैं मैं हूँ यह मैं अहंकार रूपी  आवरण है |
“ भगवन यह सूक्ष्म शरीर क्या है |” उसने बाबा से पूछा
योगी अभेदानन्द ने आँखें बंद की और हाथ हवा में लहराया | उनके हाथों में कुछ अनाज के  दाने थे | उन्होंने उसे दिखाते हुए पूछा “ यह क्या है |”
“बाबा यह तो गेंहू के दाने हैं |”
बाबा ने उसके सर पर हल्की चपत लगाईं और कहा  “ अब देख क्या है |”
उसने आश्चर्य से भरते हुए कहा “ बाबा गेंहूँ के चारो तरफ तो रंग विरंगे प्रकाश की किरणें नजर आ रहीं हैं |”
योगी  बाबा ने फिर से हाथ हवा में लहराया इस बार अनेकों किस्म के अनाज के दाने उनके हाथों में थे | उन्होंने उसे दिखाते हुए उससे पूछा  “ क्या नजर आता है |”
“ बाबा इन अनाज दानों के साथ झिलमिल करते हुए प्रकाश के किरण नजर आ रहें हैं |” उसने कहा
“ तुम्हारा , हमारा सभी का शरीर इन अन्न से बने हुएं हैं इसलिए कहा गया है अन्नं ब्रह्मा | हमारा  तुम्हारा जो शरीर है यह अन्न से बना हुआ है | अन्न से वीर्य और रज बने होते हैं जिससे  इस शरीर का निर्माण होता है | इस अन्न से  बने हुएस्थूल  शरीर को अन्नमय कोश कहते हैं | इस  अन्न से बने शरीर का महत्व यह है कि परमात्मा अनुभव में इसका अहम भूमिका  है | जिस प्रकार से नारियल के फल में अनेक आवरण होते हैं , ये आवरण कई भाग होते हैं जैसे छिलका , सख्त भाग उसके अंदर नारियल का गूदा और फिर उसके अंदर नारियल का पानी | ठीक उसी तरह ये शरीर जो अन्न से बना है बाहरी छिलका और सख्त खोपडा समझो इसे नारियल का | इसके अंदर फिर मन का कोश है , प्राण का  कोश है , विज्ञान का कोश जो की आत्मा है और उस आत्म तत्व की प्राप्ति का आनन्द हीं आनन्दमय  कोश है | अगर बाहरी छिलका और सख्त भाग न हो तो नारियल की कल्पना कर सकते हो क्या तुम ठीक उसी तरह शरीर का भी कार्य है |” बाबा ने समझाते हुए कहा |
“  मृत्यु के बाद तो तुम्हारा शरीर यहीं रह जाता है किन्तु सूक्ष्म शरीर जो अन्नमय शरीर का हीं सूक्ष्म रूप है नष्ट नहीं होता | यह सूक्ष्म शरीर अन्न के उस भाग से बना हुआ है जो तुमने प्रकाश रूप में देखा | अन्न के बनने की भी जटिल क्रिया है यह अन्न भी  पृथ्वी , प्रकाश ( अग्नि ) , जल , वायु और आकाश से हीं बना हुआ है | सूक्ष्म शरीर में इन्हीं दो तत्वों  प्रकाश (अग्नि ) और आकाश की मात्रा प्रबल होती है बाकी तीन तत्वों की मात्रा अत्यंत अत्यंत सूक्ष्म होती है | इन्हीं सूक्ष्मतम तत्वों के कारण सूक्ष्म शरीर जो मृत शरीर से निकला होता है कभी कभी लोगों को प्रेत रूप में दृश्य हो जाता है और कई बार इनकी आवाज़ भी सुनाई दे जाती है | इन्हीं तत्वों के माध्यम से आत्मा मन के साथ दुसरे शरीर में प्रवेश करता है | सूक्ष्म शरीर का आकार भी स्थूल शरीर के जितना हीं होता है और अदृश्य होता है | बिना साधना के इसे देखा और अनुभव नहीं किया जा सकता | सनातन धर्म  में शरीर को अग्नि में समर्पित करने का  कारण है प्रथम तो अग्नि स्थूल शरीर को जला कर नष्ट कर देती है और सूक्ष्म तत्व को मुक्त कर देती है अगली यात्रा हेतु | सूक्ष्म शरीर को परिभाषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि सूक्ष्म शरीर मन , प्रकाश , आकाश वायु और आत्मा का जोड़ है | फिर भी इस तरह यह  पूर्णतया  परिभाषित नहीं होता यह अनुभव से हीं समझा जा सकता है | 

 इस ज्ञान के द्वारा वह व्यक्ति एक अलग हीं आयाम में छलांग लगा  चूका था |

रहस्यमयी हिमालय - 10

नौजवान साधक सच्चिदानन्द  ने गुफा में प्रवेश कर अपना स्थान ग्रहण कर लिया |
योगी बाबा ने सच्चिदानन्द को संबोंधित करते हुए कहा “ सच्चिदानन्द मैं देख रहा हूँ तुम अपने साधना में शत प्रतिशत नहीं दे रहे हो |”
“जी बाबा मैं अपना शत प्रतिशत लगाता हूँ किन्तु कुछ परेशानियों की अनुभूति मुझे हो रही है |” नौजवान साधक ने कहा
“ मैं तुम्हारी परेशानी देख रहा हूँ | साधना के समय कुछ पूर्व जन्म की स्मृतियाँ जीवित हो आती हैं और तुम विह्वल हो जाते हो |” योगी बाबा ने कहा
“ जी प्रभु जब भी मैं अपनी साधना की गहराईओं में उतरता हूँ कुछ दृश्य सजीव हो आते हैं बिलकुल नये दृश्य जिसका मेरे इस जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं |” नौजवान साधक ने अपनी बात बताई
“ देखो जो दृश्य उत्पन्न होते हैं और तुम्हें परेशान करते हैं वे कभी पूर्वजन्म में तुम्हारे साथ घटित हो चुके हैं | तुम अपने मन के माध्यम से उन स्मृतियों को इस जन्म में भी ले  आये |” बाबा ने कहते हुए नौजवान साधक के सर को स्पर्श किया |
योगी  बाबा के स्पर्श से वह नौजवान साधक अपने पूर्वजन्म में पहुँच गया और कुछ दृश्य उसके सामने उपस्थित हुए |
उसने देखा चार पांच लोग उसे लाठी डंडा से पिट रहे हैं कुछ लोगों के हाथ में धारदार हथियार भी था | बहुत हीं बेरहमी से उसे लोग पिट रहे थे | वह मौका देख कर उठ कर भागा | लोग उसके पीछे पीछे हथियारों के साथ  |  वह बहुत हीं तेजी से भाग रहा था | भागते भागते बुरी तरह हांफ रहा था | वह थक कर चूर हो गया था | तभी भागने के क्रम में वह निचे गिर गया | पीछे से पीछा करते हुए लोग उसके पास पहुँच गयें और हथियार आदि से उस पर वार करना शुरू कर दिया |
नौजवान साधक यह दृश्य देख कर बुरी तरह चौक कर ध्यान से जागा |
बाबा उसकी तरफ देख कर मुस्करा रहे थे |
उसने बाबा से पूछा “यह क्या था ?”
बाबा ने कहा “ तुम्हारा पूर्वजन्म | जानते हो वे लोग कौन थे और  तुम्हें क्यों पिट रहे थे |”
नौजवान साधक ने कहा “ नहीं |”
वे लोग पूर्वजन्म के  तुम्हारे हीं सगे सम्बन्धी थे जमीन  के एक विवाद के कारण तुम्हें उनके क्रोध का सामना करना पड़ा और उन लोगों ने  तुम्हारी हत्या कर दी और तुम्हारे जमीन पर कब्जा कर लिया |” योगी  बाबा ने समझाते हुए कहा |
“उस पूरी भीड़ में से एक प्रमुख व्यक्ति के उपर तुम्हारी हत्या के अपराध में मुकदमा चला और फांसी हुई | शेष लोगों को जेल की सजा भी हुई |” योगी बाबा ने कहते हुए फिर से उसके सर का स्पर्श किया और वह पुन : ध्यानस्थ हुआ |
मृत्यु के बाद का सारा दृश्य उसके आँखों के सामने से गुजर गया न्यायलय का दृश्य , उन लोगों के सजा का दृश्य , फांसी का दृश्य सभी |
योगी बाबा ने उसे हिलाते हुए ध्यान से जगाया और कहा “ अभी तुम्हारे साधना की बाधा यह थी की तुम्हारा मन दोषियों पर अटका हुआ था की उनका क्या हुआ इसलिए तुम साधना में बार बार चौक जाते थे | अब तुमने ये जान लिया है इसलिए साधना के तुम्हारे मार्ग में कोई बाधा नहीं आएगी | मन जन्मों जन्मों में  जिस कारण में   अटका रहता है उन्हीं कामनाओं की पूर्ति हेतु पुनर्जन्म करवाता है | तुम्हारा कारण था अपने हत्यारों  का परिणाम जानना जो की तुमने जान लिया है | तुम्हारी बाधा समाप्त हुई |”

नौजवान साधक सच्चिदानन्द बाबा के चरणों में गिर पड़ा |