Saturday 23 May 2015

ध्यान अनुभव

ध्यान !
जो अनुभव करता हूँ लिखता हूँ !
जब हम ध्यान के लिए आँखें बंद करते हैं तब सबसे पहला साक्षात्कार होता है अँधेरे से ! ये अँधेरा ज्यादा दिन नहीं रहने वाला जल्द हीं प्रकाश में बदल जायेगा धैर्य रखें ! फिर हमें दिखाई देतें हैं अपने विचार ये विचार हर तरह के हो सकते हैं प्रीतिकर अप्रीतिकर सभी तरह के ! यहाँ हमें थोड़ी सावधानी बरतनी होगी बरना ये विचार ऐसे होतें हैं की हम इन्हीं में खो जायेंगे ! ये विचार अपनी कल्पना होती है मधुर कल्पना या अमधुर कल्पना ! 

अब यहाँ सावधानी क्या बरतनी है इस पर गौर करतें हैं ! हमें इन विचारों में खोना नहीं है बल्कि इन्हें देखना है जैसे कोई चलचित्र चल रहा हो मतलब की हमें इस पर जोर देना है कि इन विचारों को देखने वाला दूसरा हीं कोई और है ! आनन्द आएगा कर के देखें ! ऐसा भाव आते हीं आप देखेंगे कि कुछ दिनों में विचारों पर नजर रखने पर विचार गायब होने लगे ! ये आपने एक छलांग लगा ली ! इसके बाद धीरे धीरे प्रयास के द्वारा गहरी शून्यता उतरती जायेगी और रहस्य खुलते जायेंगे !
ध्यान का कोई रहस्य ले कर पुन : हाज़िर होऊंगा धन्यवाद !

No comments:

Post a Comment