Thursday 27 September 2018

निराशा के क्षणों में एक ध्यान प्रयोग करें |


जीवन में कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब निराशा के बादल छटने का नाम नहीं लेते ऐसे में अपना दृढ आत्मविश्वाश बनाये रखें और परमात्मा पर विश्वाश रखें | निराशा के बादल छंट जायेंगे चिंता न करें | फिर से सूरज उगेगा फिर से प्रकाश छाएगा जीवन में | मैं जानता हूँ  ये सब कहना आसान  है किन्तु जो वैसे समय को झेलता है वाही जानता है क्या बीत  रही है | फिर भी निराश हताश नहीं हुआ जा सकता जीवन में उम्मीद की किरण होनी चाहिए | बच्चे दौड़ते दौड़ते गिर जाते हैं फिर उठ कर दौड़ने लगते हैं सिर्फ माता की चुचकार सुन कर | वैसे हीं जीवन में हताश हों तो सब झाड पोछ कर उठ खड़े होइए फिर से जीवन की दौड़ में शामिल होइए | जब घोर निराशा का बादल छाया हो तो –
कहीं एकांत में बैठ जाएँ और मन हीं मन यह प्रश्न दुहरायें “ हे ईश्वर  क्या तुम मेरे साथ हो “ बार बार दुहरायें दस मिनट तक दुहराते रहें भीतर से हीं कुछ आवाज़ मिलेगा | एक अजीब शान्ति मह्शूश करेंगे आप | दिखने में यह प्रयोग साधारण है किन्तु आपके भीतर आशा का संचार कर सकता है फिर से जीवन दान दे सकता है यह प्रयोग |
एक ध्यान प्रयोग करें
आराम से सुखासन में बैठ जाएँ

आँखें बंद कर लें
सारा ध्यान साँसों पर हो
एक लम्बी गहरी साँस लें और छोड़ दें , पुनः एक लम्बी गहरी साँस लें और छोड़ दें कम से कम पांच सात बार करें यह |
अब ध्यान को छाती की पसलियों के बीच में ले जाएँ यहाँ अनाहत चक्र है | यहाँ ध्यान को केन्द्रित करें | हो सकता है हृदय की धडकन सुनाई दे अपना ध्यान यहीं केन्द्रित रखें | करीब बीस से तीस मिनट तक | इमानदारी से यह प्रयोग करेंगे तो कुछ न कुछ समाधान अवश्य मिलेगा |


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