Thursday 21 June 2012

तत्वमसि



तू कौन है ये जान ले ,
तू कौन है ये पहचान ले |                 
अपने भीतर उतर,
 सुधा पान कर |
तृप्त हो जा तू ,
अपने को जान कर |
अपने भीतर के विष को हटा ,
छाएगी न फिर दुखों की घटा |
तू कौन है ये जान ले ,
तू कौन है ये पहचान ले
सत्येन्द्र
 

5 comments:

  1. आप लोगों से कोई परिचय जानना चाहता है ‘आपका परचिय?’ तो आप लोग अनेक प्रकार के गलत उत्तर देते हैं। जैसे आप... आप नहीं जानते आप कौन हैं? आप दिनेश हैं। दिनेश? ये तो आपका नाम है, आप का नाम। मैं आपका परिचय पूछ रहा हूँ, आप का नाम नहीं पूछ रहा हूँ। जैसे संसार में कोई कहे कि ये रमेश है और ये रमेश की स्त्री है, वह अलग हो गया। यह रमेश का हाथ है, ये रमेश का पैर है ये रमेश का मन है, ये रमेश की बुद्धि है। तो ये रमेश तो कोई अलग चीज है न! तो आपने कह दिया ये दिनेश है, दिनेश तो इसका नाम है। इसमें ‘का’ लगा है।

    ‘मैं’ का, नाम। मैं नहीं आपने बताया। इनका परिचय आपने नहीं दिया। आप-आप कलेक्टर हैं, कमिश्नर हैं। अरे! कलेक्टर, कमिश्नर तो कुर्सी का नाम है गधे। मैं इनका परिचय पूछ रहा हूं। आप मनुष्य हैं। मनुष्य? ये तो शरीर का नाम है। ऐसे ही गधा कह सकता है मैं गधा हूं। आप कहते हैं मैं मनुष्य हूं। ये तो शरीर का नाम हो गया। आप कौन हैं ? आप ऐसे बोलते जायेंगे, बोलते जायेंगे और आखिर में कह देंगे मैं, मैं, मैं, मैं नहीं जानता मैं कौन हूं।

    तो देखो जो अपने को नहीं जानता, नहीं पहचानता उसको पागलखाने में रहना चाहिये, बाहर नहीं रहना चाहिये। संसार में जो अपने को नहीं पहचानता, उसको लोग पागलखाने में बन्द कर देते हैं। इलाज करते हैं कि ये अपने को पहिचानने लगे। ये ‘मैं’ को जाने, ये भूल गया ‘मैं’ कौन हूं। सच तो यह है कि 84 लाख योनियों का ये भगवान् का पागलखाना ही है। और सब पागल इसमें रहते हैं। और कोई पागल अपने को पागल नहीं मानता।

    सब अपने को सही मान रहे हैं। अगर कोई सौभाग्य से अपने को पागल मान ले और इलाज करावे किसी महापुरुष के द्वारा, डाक्टर के द्वारा तो वो पागलपन दूर हो सकता है और हो जाता है। अनेक पागलों का इलाज हो चुका है, तुलसी, सूर, मीरा, कबीर, नानक, तुकाराम, बडे-बडे सन्त जो हुये हैं ये सब पहले हमारी ही कक्षा में थे। ये लोग भी अपने आप को नहीं जानते थे। लेकिन गुरु कृपा से साधना करके अपने आप को इन लोगों ने जाना, पहचाना तो पागलपन दूर हो गया।

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  2. बहुत सुन्दर!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद तथा हृदय से आभार महोदय !

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