हम शेर के
बच्चे हैं
आदमी को जब
हताशा और निराशा का क्षण घेर ले जब कोई मार्ग न दिखे ,जब कोई साथ न दे तो अकेले
हीं चलना चाहिए और अपने भीतर की अवाज को
पहचान कर उसी मार्ग पर चलना चाहिए | नीरेंद्र जी के ब्लॉग का शीर्षक “एकला चलो रे” यह गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के एक गीत की पंक्ति हैं जो हताशा और निराशा
के क्षणों में संजीवनी शक्ति का कार्य करती है |
आदमी कभी
कभी काफी हताश और निराश हो जाता है ,कोई मार्ग नहीं दिख पाता तब खुद के शरण में आ
जाना चाहिए | अपने भीतर डुबकी लगाने पर अनंत हीरे मोती या यूँ कहें अकूत खज़ाना
हाँथ लगता है | सारा मार्ग प्रशस्त हो जाता है निराशा के बादल छंट जाते हैं | बस जरुरत है अपने भीतर उतरने की
प्रकाशित मार्ग दिखाई देगा |
उपनिषदों
के ब्रह्म वाक्य “ तत्वमसि ” का स्मरण करें | “तत्वमसि” अर्थात
तुम वही हो यानी परमात्मा यह वाक्य काफी
आश्वासन देता है एक बल देता है | हालाकि सिर्फ इस वाक्य का स्मरण एक सुखद कल्पना
में ले जाता है , लेकिन आनंद तब आये जब यह
ब्रह्म वाक्य अनुभव में उतर जाए |
विवेकानंद
ने एक कहानी का जिक्र बार बार किया है | एक शेर का बच्चा अपने झुण्ड से बिछड जाता
है और भेंड़ों के झुण्ड में जा मिलता है | उसका लालन पालन भेंड़ों की तरह होता है और
उसमे भेंड के सारे गुण आ जातें हैं | एक दिन उस भेंड़ों के झुण्ड पर एक शेर आक्रमण
कर देता है सारे भेंड अपनी जान ले कर भागतें
हैं | शेर का बच्चा भी भागता है | शेर को यह सब देख कर मारे आश्चर्य की उसकी आँखें फटी रह जाती है | वह
भेंड़ों को छोड़ कर पहले शेर के बच्चे को पहले
दबोचता है | शेर का बच्चा मिमियाने लगता है | शेर उस बच्चे से पूछता है की
भेंड तो भाग गए कोई बात नहीं लेकिन तुम क्यों भाग रहे हो ? शेर का बच्चा मिमियाने
लगता है | शेर को बात समझ में आ जाती है ,पास हीं नदी बह रही होती है | शेर उस
बच्चे का गर्दन पकड कर नदी में उसका छवि दिखाता है | शेर का बच्चा अपने को पहचान
कर जोरदार गर्जन करता है | शेर को मारे खुशी के आंसू छलक आतें हैं |
हम भटके
हुए शेर के बच्चे हैं | समय समय पर कोई कृष्ण अपने गीता के माध्यम से हमें हम शेर
हैं बताने आतें हैं | कोई मोहमद अपने
कुरान के माध्यम से ,कोई जीसस अपने बाइबल के माध्यम से ये बताता है कि हम शेर हैं
और खुद को भेंड समझ बैठ हैं और जब हम खुद को पहचानतें हैं तो जितनी खुशी हमें होती
है उतनी हीं खुशी किसी कृष्ण ,मोहमद या जीसस या किसी भी सद्गुरु को भी होती
है |
वर्तमान
में भारत की जो दुर्दशा यहाँ के भ्रष्टों
ने ,अतितायिओं ने बना रखी है ऐसे में हमें अपने शेर होने का परिचय देना हीं होगा |
हम शेर बन कर भ्रष्टों के गले दबोचे और एक एक चीज का हिसाब मांगे
| हम शेर हैं और शेर की तरह जियें | हमारे नस नस में रक्त की जगह लावा बह रही है | हम ऊर्जा और शक्ति के
श्रोत हैं | हम ईश्वरपुत्र हैं यानी ईश्वर हीं हैं ऐसे भाव के साथ जियें |
बोहत शानदार ब्लॉग है मज़ा आ गया।।
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