Wednesday, 15 June 2016

Secret Himalayas रहस्यमयी हिमालय 6

हिमालय स्थित जंगल का भ्रमण दोनों कर रहें थे | शाम का समय था | बहुत हीं मनोहारी दृश्य उत्पन्न हो रहे थे | सूर्य पश्चिम की ओर बर्फीले हिमालय की ओट में जाने को तैयार था | जाते जाते सूर्य देवता बर्फ पर अपनी सतरंगी चादर लहरा रहे थे | वातावरण में दिव्य सुगंध था | कल कल करती माँ भगीरथी समुद्र देवता से मिलने को तेजी से भाग रही थी | नाना भाँती के रंगीन पंक्षी चहचहाते हुए अपने अपने नीड़ों की  ओर लौट रहे थे |
नवजवान साधक सच्चिदानन्द और वह व्यक्ति भ्रमण करते करते माँ गंगा के किनारे एक चट्टान पर आमने सामने बैठ कर प्रकृति का लुत्फ़ उठाने लगे |
तभी उस व्यक्ति ने साधक सच्चिदानन्द से पूछा “ क्या आप कभी उस गुप्त रहस्यमयी लोक में गयें हैं जहाँ अनेकों अनेक साधक तपस्यारत हैं |”
“ कई बार मेरा जाना हुआ है वहां मैंने कई साधनाएं उस लोक में निवास कर किया है किन्तु मैं अभी पारंगत नहीं हूँ इस लिए गोमुख के उपर दिव्य हिमालय की कन्दरा में रह कर अपनी साधना पूरी करता हूँ | अभी यहाँ महासंत अभेदानन्द के बुलावे पर आया हूँ |”

“ किन्तु महायोगी बाबा तो यहाँ से कहीं गये नहीं फिर आपको कैसे पता चला कि महायोगी बाबा आपको बुला रहें हैं |” उस व्यक्ति ने पूछा
“ देखो ध्यान की शक्ति से योगियों का दिमाग ट्रांसमीटर और रिसीवर दोनों का कार्य करता है | अगर योगी चाहें तो किसी को भी अपना सन्देश सूक्ष्म दिमागी  तरंगों के माध्यम से पहुंचा सकते हैं और जिसके लिए वह सन्देश तरंग रूप में हो वह ग्रहण कर लेता है चाहे ग्रहण करने  वाला योगी या ध्यान साधक न भी हो तब भी | इसी तरह के एक सन्देश तरंगों के द्वारा तुम्हें भी महायोगी बाबा ने बुलाया और तुम दल से उनके हीं निर्देशन पर भटक कर उनके पास पहुँच गये |” सच्चिदानन्द ने कहा
वह व्यक्ति आश्चर्यचकित था किन्तु अपने भाव छिपाते हुए उसने फिर पूछा “ योगी बाबा ने मुझे क्यों बुलाया है |”
“ यह तो योगी बाबा हीं बताएँगे तुझे |” स्वामी सच्चिदानन्द ने कहा |
शाम घिर आई थी अँधेरा होने को था | 
“ चलो योगी बाबा के गुफा की ओर चलते हैं |” स्वामी सच्चिदानन्द ने कहा
दोनों गुफा की ओर चल पड़े

जारी .........................

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