वह
घंटों वहीँ बैठा रहा | उस
योगी के दिव्य
स्वरूप को निहारता
रहा | कुछ देर बाद योगी
ने आँखे खोली | योगी के
आँख खुलते हीं वह
कुछ कहना चाहा किन्तु
उस दिव्य संत
ने हाथों के इशारे
से उसे चुप
रहने को कहा |
योगी ने
पुन : आँखें बंद की और कुछ
क्षणों बाद फिर से
आँखें खोली | दिव्य संत ने
उस
व्यक्ति से पूछा – “ राह
भटक कर अपने
दल से बिछुड़
गये हो |”
“ जी ” उस
व्यक्ति ने कहा
“ तुम
राह नहीं भटके
हो बल्कि किसी
के अदृश्य निर्देशन
के द्वारा मेरे पास पहुंचे हो |”
योगी ने कहा ( सिद्ध संत पहले आपकी भाषा में बातें करेंगे फिर बाद में अपनी
)
” जी मैं कुछ समझा नहीं |” उस व्यक्ति
ने कहा
“ समय
आने पर सारी
बातें तेरे समझ
में आ जायेगी
|” योगी बोल पड़े
“ अच्छा
ऐसा कर बगल में गंगा बह रही है जा
स्नान कर के आ जा | और वहां ( ऊँगली से ईशारा करते हुए ) कुछ फल रखे हुए हैं स्नान
के बाद आ कर खा लेना |” ऐसा कह कर योगी
क्षण में ध्यानस्थ हो गये |
वह व्यक्ति बाहर निकला बाहर मनोरम दृश्य था | कल
कल करती हुई भगीरथी न जाने कितने युगों से बह रही है इस धरा पर | मैदानी क्षेत्रो
में लोग इसी माँ गंगा के शरण में तो आते हैं अपने पाप धोने | कितने पावन शहर बसे
हुए हैं इस ममतामयी के तट पर अपने भारत में
ऋषिकेश , हरिद्वार , बनारस सभी |
और ये हिमालय बाबा न जाने कितने साधकों को अपने गोद में आश्रय दिया है
इन्होने | अपनी गोद में न जाने कितने कीमती जड़ी बूटियों को छिपा कर रखें है इस
पवित्र हिमालय ने जो न जाने कितने असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है | कुछ ऐसा हीं
विचार उसके मन में चल रहा था |
मन
में विचार करते हुए वह गंगा के तट पर पहुंचा | उसने अपने हाथों से गंगा जल को
स्पर्श किया बिलकुल हिम (बर्फ ) के मानिंद ठंडा शीतल ! उसने अपने सारे वस्त्र
उतारे और स्नान किया | स्नान कर के वह बाहर निकला | तभी उसने हांथों में नए वस्त्र लिए एक व्यक्ति को वह
वहां खड़ा देखा |
वस्त्रों को उस व्यक्ति को देते हुए उस आदमी ने
कहा “ उस गुफा वाले बाबा ने दियें हैं आपके लिए आप इसे पहन लें |”
वह व्यक्ति थोडा आश्चर्यचकित होते हुए अपने वस्त्र बदले और गुफा की ओर प्रस्थान किया |
गुफा के अंदर प्रवेश कर के उसने देखा वह आदमी तो
वहां था हीं नहीं जिसने उसने उसे वस्त्र दिए थे | योगी बाबा अभी भी ध्यानस्थ थे |
योगी बाबा ने जिस स्थान पर फलों के लिए बताया था
वहां से उसने कुछ फल सेब , नाशपाती और कुछ सूखे मेवे काजू , किशमिश , छुहाड़ा आदि
ले कर वह खाने लगा | उसकी दृष्टि अभी भी उस रहस्यमयी योगी के चेहरे को अपलक निहार
रही थी |
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