Thursday, 9 June 2016

Secret Himalayas रहस्यमयी हिमालय 2


वह  घंटों  वहीँ  बैठा रहा | उस  योगी  के  दिव्य  स्वरूप  को  निहारता  रहा  | कुछ देर  बाद योगी  ने आँखे  खोली | योगी  के  आँख  खुलते  हीं वह  कुछ कहना  चाहा  किन्तु  उस  दिव्य  संत  ने  हाथों  के इशारे  से  उसे  चुप  रहने  को  कहा  | योगी  ने  पुन : आँखें बंद की  और कुछ क्षणों  बाद फिर  से  आँखें  खोली | दिव्य  संत  ने  उस  व्यक्ति  से  पूछा – “ राह  भटक  कर  अपने  दल  से  बिछुड़  गये  हो |”
“ जी ” उस  व्यक्ति  ने  कहा
“ तुम  राह  नहीं  भटके  हो  बल्कि  किसी  के  अदृश्य  निर्देशन  के द्वारा मेरे पास पहुंचे हो |”  योगी ने कहा ( सिद्ध संत पहले आपकी भाषा में बातें करेंगे फिर बाद में अपनी )
” जी मैं कुछ समझा नहीं |”  उस व्यक्ति  ने  कहा
“ समय  आने  पर  सारी  बातें  तेरे  समझ  में  आ  जायेगी  |” योगी बोल पड़े
“ अच्छा  ऐसा कर  बगल में गंगा बह रही है जा स्नान कर के आ जा | और वहां ( ऊँगली से ईशारा करते हुए ) कुछ फल रखे हुए हैं स्नान के  बाद आ कर खा लेना |” ऐसा कह कर योगी क्षण में ध्यानस्थ हो गये |
वह व्यक्ति बाहर निकला बाहर मनोरम दृश्य था | कल कल करती हुई भगीरथी न जाने कितने युगों से बह रही है इस धरा पर | मैदानी क्षेत्रो में लोग इसी माँ गंगा के शरण में तो आते हैं अपने पाप धोने | कितने पावन शहर बसे हुए हैं इस ममतामयी के तट पर अपने भारत में  ऋषिकेश , हरिद्वार , बनारस सभी |  और ये हिमालय बाबा न जाने कितने साधकों को अपने गोद में आश्रय दिया है इन्होने | अपनी गोद में न जाने कितने कीमती जड़ी बूटियों को छिपा कर रखें है इस पवित्र हिमालय ने जो न जाने कितने असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है | कुछ ऐसा हीं विचार उसके मन  में चल रहा था |

       मन में विचार करते हुए वह गंगा के तट पर पहुंचा | उसने अपने हाथों से गंगा जल को स्पर्श किया बिलकुल हिम (बर्फ ) के मानिंद ठंडा शीतल ! उसने अपने सारे वस्त्र उतारे और स्नान किया | स्नान कर के वह बाहर निकला | तभी उसने  हांथों में नए वस्त्र लिए एक व्यक्ति को वह वहां खड़ा देखा |
वस्त्रों को उस व्यक्ति को देते हुए उस आदमी ने कहा “ उस गुफा वाले बाबा ने दियें हैं आपके लिए आप इसे पहन लें |”
वह व्यक्ति थोडा आश्चर्यचकित होते हुए अपने  वस्त्र बदले और गुफा की ओर प्रस्थान किया |
गुफा के अंदर प्रवेश कर के उसने देखा वह आदमी तो वहां था हीं नहीं जिसने उसने उसे वस्त्र दिए थे | योगी बाबा अभी भी ध्यानस्थ थे |
योगी बाबा ने जिस स्थान पर फलों के लिए बताया था वहां से उसने कुछ फल सेब , नाशपाती और कुछ सूखे मेवे काजू , किशमिश , छुहाड़ा आदि ले कर वह खाने लगा | उसकी दृष्टि अभी भी उस रहस्यमयी योगी के चेहरे को अपलक निहार रही थी |  

जारी .........................
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