आज्ञा
चक्र वह स्थान है जहाँ तीन प्रमुख नाड़ियाँ इडा ( बायाँ नासिका से स्वास का संचालन ) पिंगला ( दाहिना
नासिका से स्वास का संचालन )और शुषुमना ( दोनों नासिकाओं से सामान स्वास संचालन )
का मिलन बिन्दु है | तथा वहां से तीनों नाड़ियाँ एक प्रवाह में चेतना के सर्वोच्च
बिन्दु सहस्त्रार तक पहुँचती हैं | शास्त्रों के अनुसार तीन पवित्र नदियाँ गंगा ,
यमुना और सरस्वती तीनों तीन नाड़ियों का
प्रतिक हैं और तीनों का मिलन स्थल है संगम ( इलाहाबाद ) | बारहवें वर्ष लगने वाले
कुम्भ में स्नान करने से तन और मन दोनों पवित्र हो जाता है | संगम का यह स्थल
आज्ञा चक्र का प्रतीक है |
आज्ञा
चक्र यानी दोनों भौं ( भ्रू मध्य ) के मध्य में मन को स्थिर करने पर मनुष्य के व्यक्तित्व और
चेतना में परिवर्तन होना प्रारम्भ हो जाता
है | अहं व्यक्तिगत चेतना में सर्वोच्च स्थान पर होता है और इसी अहं के कारण द्वैत
का बोध होता है ( ये मैं और ये तुम द्वैत दो का भास ) | द्वैत जब तक है तब तक समाधि असम्भव है
क्योंकि समाधि मतलब हुआ परम चेतना से एकाकार हो जाना | समाधि में कोई नहीं बचता बस
सर्वोच्च सता परमात्मा हीं रह जाता है |
आज्ञा
चक्र के पूर्व अन्य चक्रों के जागरण से
बहुत हीं दुर्लभ अनुभव अवश्य होतें हैं किन्तु दुर्लभ अनुभूतियों के अलावा स्व
आस्तित्व का बोध बना रहता है | किन्तु इडा , पिंगला और शुषुमना के आज्ञा चक्र पर
मिलन के बाद अपने आस्तित्व का बोध समाप्त हो जाता है | इसका अर्थ ये कतई नहीं की
व्यक्ति अचेत हो जाता है बल्कि उसकी चेतना का विस्तार हो जाता है इस अवस्था में
व्यक्तिगत चेतना लुप्त हो जाती है और द्वैत समाप्त हो जाता है | आज्ञा चक्र अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र है और मन को
पवित्र बनाने हेतु इस चक्र पर अवश्य ध्यान करना चाहिए |
दुसरे
चक्र के जागरण में अनेकों समस्याएं हो सकती है जिसका कारण अलग अलग चक्रों में अलग
अलग नकारात्मक तथा सकारात्मक संस्कारों का
संचयन है | किसी भी चक्र के जागरण से ये संस्कार चेतना के बाह्य स्तर पर उभरते हैं
और हर व्यक्ति इससे निपटने को तैयार नहीं है | सिर्फ तार्किक और समझदार प्रवृति के
लोग इससे निपट सकते हैं |
इसलिए
महत्वपूर्ण है कि चक्रों के जागरण शुरू हों और शक्ति का प्राकट्य हो उससे पूर्व मन
को इसी मिलन बिन्दू पर पवित्र कर लिया जाए |तब शुद्ध मन से आप दुसरे चक्र को भी
जगा सकते हैं | इसलिए चक्रों के जागरण और उसकी अनुभूतियों के लिए शुरुआत आज्ञा
चक्र से हीं करें तो बेहतर होगा |
क्रमशः
Kya abhi bhi post ka reply ayega kya
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