मन बहुत चंचल है | जब
ध्यान करने बैठो उसी वक्त यह ज्यादा परेशान करता है शांत हीं नहीं होता | इसका ईलाज
है कारगार ईलाज !
आखिर मन के उपर भी
उसका बाप आत्मा जो
बैठा है ईलाज
कैसे नहीं मिलेगा | ऐसे में अधिकाँश साधक आत्म सुझाव ( Auto
suggestion ) का सहारा
लेते हैं | जैसे की मन हीं मन वे दुहराते हैं ” मेरा मन शांत हो
रहा है .............मेरा मन शांत
हो रहा है ........|” लेकिन कई बार यह भी कार्य
नहीं करता तब क्या करें ? ऐसे में एक रामबाण ईलाज है !
शान्ति से सुखासन में बैठ जाएँ |
रीढ़ की हड्डी सीधी तनी हुई नहीं |
तीन बार अनुलोम विलोम प्राणायाम कर लें
( नहीं भी करेंगे तो चलेगा )
अब एक गहरी लम्बी सांस अंदर खींचते हुए ॐ
................का उच्चारण करें साँसों को छोड़ते हुए |
फिर एक बार ॐ .............................
ॐ का उच्चारण करते रहें |
आपके ॐ के उच्चारण से शरीर
में स्पंदन होने लगेगा |
इस स्पंदन को मह्शूश करें |
ॐ का उच्चारण सिर्फ मुंह से नहीं हृदय से करें |
अपने अहं को ॐ में विलीन कर दें |
शरीर और मन में ॐ के प्रकम्पन को मह्हूश करें |
आप देखेंगे आपका मन शांत हो गया
है |
ॐ ॐ ॐ
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