Wednesday, 8 June 2016

Joy of meditation ध्यान का आनन्द

एक नवयुवक एक महात्मा  के पास गया | महात्मा भी थे उच्च कोटि के उम्र लगभग नब्बे के करीब | युवक महात्मा के पास पहुँच कर उनके सामने  हाँथ जोड़ कर विनती की | उसने कहा – “ महात्मन ध्यान क्या है , समाधि क्या है , परमात्मा क्या है |” युवक के आँखों में प्यास थी | उसकी जिज्ञासा और प्यास देख कर महात्मा ने कहा – “ इसमें देर किस बात की लो जान लो |” ऐसा कह कर महात्मा ने अपने पैर के  दायें अंगूठे से युवक के सर के चोटी ( जहाँ ब्राह्मण चुटिया रखते हैं , सहस्त्रार ) पर स्पर्श कराया | युवक निढाल हो कर गिर पड़ा | उसे अपनी सुध बुध न थी | घंटों वह उस अवस्था में पड़ा रहा | जब उसकी चेतना वापस आयी तब महात्मा उसके आँखों में देख कर मुस्कुरा रहे थे | युवक भाव शून्य नेत्रों से महात्मा को निहारता रहा घंटों |

       कुछ देर बाद महात्मा ने युवक से पूछा और कुछ ? युवक ने अपने हाथ जोड़ कर कहा नहीं | फिर युवक के मन का कीड़ा कुलबुला गया और महात्मा से पूछ बैठा -  “यह क्या था |” महात्मा ने कहा मैंने – “ अपने तपो बल से तुम्हारे उपर क्षणिक शक्तिपात किया था ताकि तुम परमात्मा की शक्ति को मह्शूश कर  सको |  अब तुम एकांत रहते हुए सदा  मौन तथा ब्रह्मचर्य  का पालन करते हुए  अपने दोनों भ्रू मध्यों के बीच आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाते रहना | जब तुम आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाओगे तब मैं तुम्हारे सम्पर्क में रहूँगा |” इतना कह कर महात्मा ने युवक को जाने का इशारा किया | युवक वहां से प्रस्थान कर गया |
       करीब आधी रात्री को वह युवक गंगा के किनारे बैठ कर महात्मा के कहे अनुसार ध्यान लगाने लगा | कुछ देर तो कुछ भी पता न चला सिर्फ अन्धकार हीं अन्धकार दिखे | किन्तु थोडा प्रयास के बाद एक छोटा सा प्रकाश का बिंदु उसे नजर आया | वह उसी बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करने लगा | वह देखता है कि वह छोटा प्रकाश पुंज कभी तो बिलकुल छोटा और कभी बढ़ कर सिक्के के अकार का हो जाए बिलकुल श्वेत चांदी के रंग का प्रकाश | वह यह खेल को घंटो देखता रहा | एकाएक वह छोटा प्रकाश पुंज बढ़ कर बड़ा अकार ले लिया और उसमे महात्मा का चेहरा नजर आया | महात्मा ने उस प्रकाश पुंज के अंदर से पूछा – “ क्यों सब ठीक चल रहा है न !”
       उस युवक का गला रुन्द्द आया कुछ भी बोलते न बन पड़ा | वह रोता रहा घंटो रोता रहा | उसका ध्यान कब टूट गया उसे पता हीं नहीं चला |

-    कल्पना पर आधारित किन्तु सत्य से ओत प्रोत कथा 

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