जीवन में कुछ क्षण
ऐसे भी आते हैं जब निराशा के बादल छटने का नाम नहीं लेते ऐसे में अपना दृढ
आत्मविश्वाश बनाये रखें और परमात्मा पर विश्वाश रखें | निराशा के बादल छंट जायेंगे
चिंता न करें | फिर से सूरज उगेगा फिर से प्रकाश छाएगा जीवन में | मैं जानता हूँ ये सब कहना आसान है किन्तु जो वैसे समय को झेलता है वाही जानता
है क्या बीत रही है | फिर भी निराश हताश
नहीं हुआ जा सकता जीवन में उम्मीद की किरण होनी चाहिए | बच्चे दौड़ते दौड़ते गिर
जाते हैं फिर उठ कर दौड़ने लगते हैं सिर्फ माता की चुचकार सुन कर | वैसे हीं जीवन
में हताश हों तो सब झाड पोछ कर उठ खड़े होइए फिर से जीवन की दौड़ में शामिल होइए |
जब घोर निराशा का बादल छाया हो तो –
कहीं एकांत में बैठ
जाएँ और मन हीं मन यह प्रश्न दुहरायें “ हे ईश्वर
क्या तुम मेरे साथ हो “ बार बार दुहरायें दस मिनट तक दुहराते रहें भीतर से
हीं कुछ आवाज़ मिलेगा | एक अजीब शान्ति मह्शूश करेंगे आप | दिखने में यह प्रयोग
साधारण है किन्तु आपके भीतर आशा का संचार कर सकता है फिर से जीवन दान दे सकता है
यह प्रयोग |
एक ध्यान प्रयोग
करें
आराम से सुखासन में
बैठ जाएँ
आँखें बंद कर लें
सारा ध्यान साँसों
पर हो
एक लम्बी गहरी साँस
लें और छोड़ दें , पुनः एक लम्बी गहरी साँस लें और छोड़ दें कम से कम पांच सात बार
करें यह |
अब ध्यान को छाती की
पसलियों के बीच में ले जाएँ यहाँ अनाहत चक्र है | यहाँ ध्यान को केन्द्रित करें |
हो सकता है हृदय की धडकन सुनाई दे अपना ध्यान यहीं केन्द्रित रखें | करीब बीस से
तीस मिनट तक | इमानदारी से यह प्रयोग करेंगे तो कुछ न कुछ समाधान अवश्य मिलेगा |
ॐ
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