गतांक से आगे ........
शाम ढलने को आई थी वह ध्यान लगाने के लिए तत्पर था | कुश आसन बिछा कर उस पर पद्मासन लगाये ध्यान को
नासिकाग्र पर स्थिर करते हुए प्राणायाम का अभ्यास कर रहा था वह | किन्तु ध्यान लग
नहीं रहा था | ख्याल में बार बार वही ऋषि जैसे दिखने वाले महात्मन का ख्याल आ जाता
था | (पूरी कथा के लिए पढ़ें पिछला भाग ब्लॉग पर जा कर )
लाख प्रयत्नों के वावजूद आज ध्यान नहीं लग
रहा था | अंतत उठ कर उपरी मंजिल के कमरे
से होते हुए बालकनी में आया | वहां से गंगा की कल कल ध्वनी सुनाई दे रही थी और बाहर का वातावरण बिलकुल हीं मनमोहक लगने लगा उसे | आराम
कुर्सी ( Rest Chair ) पर पीठ टिकाये न जाने किस क्षण उसकी आँख झपक गयी | ध्यान जैसी तन्द्रा
अवस्था में पुन : उसके मन: क्षेत्र में उन महापुरुष का आगमन हो चुका था | लगा कुछ
क्षण के लिए हजारों वाट का बल्ब जल गया हो
| किन्तु कुछ क्षणों में हीं पिला मद्धिम प्रकाश रह गया मन: क्षेत्र में | इस बार
पीली रेशमी कुर्ते और पीली रेशमी धोती पहने नजर आये वे |
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“किन ख्यालों में हो |” महात्मन ने पूछा
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“नहीं मैं सोच रहा था आप कौन हैं |” उसने कहा
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“समय आने पर सब बता दूंगा | मैं साफ़ देख रहा हूँ
तुम्हारे भीतर आत्म ज्ञान तथा ब्रह्म ज्ञान पाने की आतुरता हिलोरें ले रहीं है | ”
महात्मन ने कहा
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“जी निसंदेह आप मेरे मन: क्षेत्र में हैं और आपसे मेरे मन की कोई बात नहीं छिपी हुई है |” उसने कहा
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हूँन्न्न्न............ और वे मंद मंद मुस्काने
लगे |
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“अच्छा बताओ तो जरा मैं और तुम तुम्हारे खोपड़ी के
जिस भाग में हैं उस क्षेत्र को क्या कहतें हैं |” उन्होंने पूछा |
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“जी मेरी मति तो कहती है ये चिदाकाश है |” उसने
कहा |
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सत्य है ! चिदाकाश चित का आकाश जहाँ एकाग्र होने पर चित यानी मन की गतिविधियाँ विचार
आदि दिखाई देने लगती है और तुम साक्षी बन
जाते हो |” ऋषि जैसे दिखने वाले महापुरुष ने कहा |
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“ जी |” उसने कहा
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“अच्छा आओ मेरे पीछे पीछे जरा तुम्हारे शरीर का
भीतर से निरिक्षण करूँ |” महा पुरुष ने कहा
कुछ हीं क्षणों में सम्पूर्ण शरीर में भ्रमण के बाद दोनों शरीर के भीतर
हीं एक बिंदु पर खड़े थे |
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“क्या दिखाई देता है ?” महात्मन ने पूछा |
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“जी पाँव
से सर के चोटी तक केवल भवंर ( चक्र ) हीं भंवर नजर आ रहे हैं | प्रतीत होता है इन
भंवरों से शक्ति बाहर निकल कर सम्पूर्ण
शरीर में व्याप्त हो रही है |” उसने अपने आज्ञा चक्र वाले चक्षु से देख कर कहा |
महापुरुष के चेहरे पर मंद मुस्कान उभर आयी
आगे जारी है .......
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