Thursday, 20 October 2016

रहस्यमयी हिमालय - 10

नौजवान साधक सच्चिदानन्द  ने गुफा में प्रवेश कर अपना स्थान ग्रहण कर लिया |
योगी बाबा ने सच्चिदानन्द को संबोंधित करते हुए कहा “ सच्चिदानन्द मैं देख रहा हूँ तुम अपने साधना में शत प्रतिशत नहीं दे रहे हो |”
“जी बाबा मैं अपना शत प्रतिशत लगाता हूँ किन्तु कुछ परेशानियों की अनुभूति मुझे हो रही है |” नौजवान साधक ने कहा
“ मैं तुम्हारी परेशानी देख रहा हूँ | साधना के समय कुछ पूर्व जन्म की स्मृतियाँ जीवित हो आती हैं और तुम विह्वल हो जाते हो |” योगी बाबा ने कहा
“ जी प्रभु जब भी मैं अपनी साधना की गहराईओं में उतरता हूँ कुछ दृश्य सजीव हो आते हैं बिलकुल नये दृश्य जिसका मेरे इस जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं |” नौजवान साधक ने अपनी बात बताई
“ देखो जो दृश्य उत्पन्न होते हैं और तुम्हें परेशान करते हैं वे कभी पूर्वजन्म में तुम्हारे साथ घटित हो चुके हैं | तुम अपने मन के माध्यम से उन स्मृतियों को इस जन्म में भी ले  आये |” बाबा ने कहते हुए नौजवान साधक के सर को स्पर्श किया |
योगी  बाबा के स्पर्श से वह नौजवान साधक अपने पूर्वजन्म में पहुँच गया और कुछ दृश्य उसके सामने उपस्थित हुए |
उसने देखा चार पांच लोग उसे लाठी डंडा से पिट रहे हैं कुछ लोगों के हाथ में धारदार हथियार भी था | बहुत हीं बेरहमी से उसे लोग पिट रहे थे | वह मौका देख कर उठ कर भागा | लोग उसके पीछे पीछे हथियारों के साथ  |  वह बहुत हीं तेजी से भाग रहा था | भागते भागते बुरी तरह हांफ रहा था | वह थक कर चूर हो गया था | तभी भागने के क्रम में वह निचे गिर गया | पीछे से पीछा करते हुए लोग उसके पास पहुँच गयें और हथियार आदि से उस पर वार करना शुरू कर दिया |
नौजवान साधक यह दृश्य देख कर बुरी तरह चौक कर ध्यान से जागा |
बाबा उसकी तरफ देख कर मुस्करा रहे थे |
उसने बाबा से पूछा “यह क्या था ?”
बाबा ने कहा “ तुम्हारा पूर्वजन्म | जानते हो वे लोग कौन थे और  तुम्हें क्यों पिट रहे थे |”
नौजवान साधक ने कहा “ नहीं |”
वे लोग पूर्वजन्म के  तुम्हारे हीं सगे सम्बन्धी थे जमीन  के एक विवाद के कारण तुम्हें उनके क्रोध का सामना करना पड़ा और उन लोगों ने  तुम्हारी हत्या कर दी और तुम्हारे जमीन पर कब्जा कर लिया |” योगी  बाबा ने समझाते हुए कहा |
“उस पूरी भीड़ में से एक प्रमुख व्यक्ति के उपर तुम्हारी हत्या के अपराध में मुकदमा चला और फांसी हुई | शेष लोगों को जेल की सजा भी हुई |” योगी बाबा ने कहते हुए फिर से उसके सर का स्पर्श किया और वह पुन : ध्यानस्थ हुआ |
मृत्यु के बाद का सारा दृश्य उसके आँखों के सामने से गुजर गया न्यायलय का दृश्य , उन लोगों के सजा का दृश्य , फांसी का दृश्य सभी |
योगी बाबा ने उसे हिलाते हुए ध्यान से जगाया और कहा “ अभी तुम्हारे साधना की बाधा यह थी की तुम्हारा मन दोषियों पर अटका हुआ था की उनका क्या हुआ इसलिए तुम साधना में बार बार चौक जाते थे | अब तुमने ये जान लिया है इसलिए साधना के तुम्हारे मार्ग में कोई बाधा नहीं आएगी | मन जन्मों जन्मों में  जिस कारण में   अटका रहता है उन्हीं कामनाओं की पूर्ति हेतु पुनर्जन्म करवाता है | तुम्हारा कारण था अपने हत्यारों  का परिणाम जानना जो की तुमने जान लिया है | तुम्हारी बाधा समाप्त हुई |”

नौजवान साधक सच्चिदानन्द बाबा के चरणों में गिर पड़ा |

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