( रहस्य
)
मित्रों
सप्रेम नमस्कार _/\_
दुनिया
में सुख दुःख दोनों हैं | सुख का आभास क्षणिक
होता है किन्तु दुःख लम्बे समय तक प्रतीत होता है | किसी के पास पैसे हैं तो भूख नहीं और किसी पास
भूख है तो पैसे नहीं | सम्पूर्ण कोई नहीं है | ये उपर वाले का विचित्र खेल है |
कभी कभी लोगों के दुखों से मन द्रवित हो उठता है | ईश्वर की सर्वोच्च कृति है मनुष्य | बहुत हीं अजीब
लगता है जब मनुष्य मनुष्य की मदद करने से कतराता है | कुछ भी ले कर नहीं आये हो और
न हीं ले कर जाओगे | अच्छा तो ये होता की जो भी इस धरा पर आएं हैं कम से कम अपना
यश तो छोड़ जाते | किन्तु ऐसा नहीं होता | दरअसल मनुष्य ने अपना दायरा छोटा कर लिया है | अपने लिए जीना है
अपने घर परिवार वाले के लिए जीना है बस इसी सोच में मनुष्य सिमट कर रह गया है |
अरे भाई कभी अपने पड़ोसियों की भी सुध लो | कम से कम उनका हाल चाल तो पूछ लो | कम
से कम प्रेम भरी दो बातें तो कर लो उनसे |
हमारा हर प्रयास ऐसा होना चाहिए जिसमे दुसरे की
भी मदद हो जाए | मैं ये कभी नहीं कहता की दुसरे को भोजन बाटो , कपडे बाटो नहीं |
बल्कि ऐसा करने से जरुरतमन्द आराम पसंद हो जायेगा | किसी को भी मुफ्त में कोई चीज
नहीं मिलनी चाहिए प्रत्येक को प्राप्त वस्तु का मूल्य चुकाना हीं चाहिए | ताकि
अपने भीतर एक प्रकार का आत्मविश्वाश उत्पन्न हो | मुफ्तखोर होने पर आदमी कुंठित और
हीन भावना का शिकार हो जाता है एक दिन | अब कुछ मुफ्तखोर बिलकुल हीं निर्लज्ज हों
तो क्या कहने |
प्रत्येक
मनुष्य को ऐसा प्रयास करना चाहिए जिससे कोई स्वालम्बी बन सके दुसरे पर निर्भर नहीं
| अब कुछ व्यक्ति लाचार होते हैं उनकी मदद
अवश्य करें | दुनिया में हर तरह के इंसान
हैं किसी के पास हाथ नहीं है तो कोई पैर के कारण लाचार है | यानी की शारीरिक रूप
से असक्षम व्यक्ति भी हैं बीमार दीन हीन उनकी मदद अवश्य करनी चाहिए |
स्मरण
रखें आप मानव तभी हैं जब आपके भीतर मानवता हो वर्ना आपमें और पशुओं में कोई फर्क
नहीं |
और
कुछ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम सोते वक्त सभी के लिए प्रार्थना करें |
प्रार्थना दो चरणों में करें |
1 . उन सभी व्यक्तियों को याद करें जिन्हें आप
जानते हैं ख़ास कर उन्हें जो लाचार हों , बीमार हों , किसी भी तरह से दुखी हों |
आँखे बंद कर लें और प्रार्थना करें ईश्वर से दस मिनट पुरे भाव से | यकीन मानें आपके
प्रार्थना का ऐसा असर होगा की आपका भी कायाकल्प होगा और जिसके लिए प्रार्थना कर
रहें उसका भी कायाकल्प होगा ( स्वानुभूत ) |
मेरे
एक परिचित मित्र थे वे बहुत अधिक बीमार थे | मैंने उनके लिए तांत्रिक और मान्त्रिक
प्रयोग किये किन्तु बात नहीं बनी , बहुत से मामलों में बन जाती है | किन्तु इस बार
न बनी | मैंने उनके लिए आँखें बंद कर के अश्रुपूर्ण नयनों से प्रार्थना की और यकीन
मानिए चमत्कार हो गया |
2 अपने परिचितों के लिए प्रार्थना करने के बाद
समस्त जगत के प्राणियों के लिए प्रार्थना करें दस मिनट | और सभी कुछ ईश्वर पर छोड़
दें |
प्रार्थना
करने से स्वयं का भाव शुद्धि होता है यह एक ऐसी युक्ति है जिससे स्वयं का भी
कल्याण होता है और जिसके लिए कल्याण चाहा जाता है उसका तो होता हीं है |
प्रार्थना के लिए कोई विशेष युक्ति नहीं
है आपको जैसे भी आता हो चलेगा बस हर भाव हृदय से निकलने चाहिए |